कोटद्वार रेंज के गुलरझाला बीट में कटे सागौन के पेड़, विभाग अनजान

कोटद्वार। कोटद्वार रेंज के गुलरझाला बीट में सागौन के पेड़ काटने का मामला सामने आय। सूत्रों के मुताबिक गुलरझाला बीट में बीते अगस्त माह में सागौन के कई पेड़ो पर लकड़ी तस्करों ने आरी चला दी थी। तब लकड़ी तस्करों ने सागौन के पेड़ो की गिल्टियां बनाकर ठिकाने लगा दिया था। बीच में मामले का उजागर होने के डर से लकड़ी तस्करों ने सागौन के पेड़ों की जड़ों को भी उखाड़ डाला, जिससे कि सपूत भी मिट जाए।

एक कहावत है ना रहेगा बांस ना बजे की बांसुरी यह कहानी लकड़ी तस्करों पर सटीक बैठ रही है।

ऐसा नहीं है कि पूरे मामले की भनक वन विभाग के कर्मचारियों को ना हो, वन विभाग के कर्मचारियों ने इस मामले पर लीपापोती करने के लिए सागौन के पेड़ों की जड़ तक उखाड़वाड़ी डाली।

लीपापोती करने के लिए लकड़ी तस्करों ने सागौन के पेड़ों की जड़ों को उखाड़

वही पूरे मामले पर डीएफओ नवीन पंत का कहना है कि काफी देर हो गई सांप निकल गया डंडा पीट कर कोई फायदा नहीं है, लेकिन आगे के लिए सतर्क रहना पड़ेगा।

आपको यह भी अवगत करा दे की बीते मई माह में लालढांग रेंज में कई इमरती पेड़ों पर आरियां चलाने का मामला सामने आया था। उस दौरान कड़ी सुरक्षा के बीच इमारती लकड़ियों को ठिकाने लगा दिया गया था। जो मामला उस दौरान अखबार से लेकर टीवी चेनलों तक खूब चर्चाओं में रहा। तब पूरे मामले पर तत्कालीन डीएफओ अखिलेश तिवारी के द्वारा जांच के आदेश दिए थे, लेकिन तत्कालीन डीएफओ के रिटायरमेंट होने के बाद जांच अधिकारी ने मामले में सभी कर्मचारियों को क्लीन चिट दे दी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान में तैनात डीएफओ ने सही उदाहरण पेश किया है कि जब सांप निकल गया तो अब लाठी पीट कर क्या फायदा।

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