लैंसडौन वन प्रभाग में लकड़ी तस्कर सक्रिय, प्रभाग की एसओजी टीम बनी मुख दर्शक, जांच में दो वन कर्मी निलंबित
कोटद्वार रेंज में अवैध पातन के मुख्य आरोपी से कोसो दूर प्रभाग की एसओजी टीम
कोटद्वार। वर्ष 2017-2018 में तत्कालीन डीएफओ वैभव कुमार ने लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज, दुगड्डा रेंज, कोटडी रेंज, लैंसडौन रेंज व लालढांग रेंज के वन क्षेत्र में अपराधिक घटनाओं पर नजर रखने के लिए “स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप” का गठन किया था। जिसे एसओजी टीम के नाम से जाना जा रहा है। टीम में एक तेज तरार डिप्टी रेंजर सहित ड्राईवर व चार अन्य फॉरेस्ट गार्ड शामिल थे, जो कि हथियार के साथ-साथ जीपीएस डिजिटल कैमरा से लैस थे।
आप को बतादे की लैंसडौन वन प्रभाग का अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर से लगता है, वहीं यह वन प्रभाग दो नेशनल पार्कों के बीच का हिस्सा है। जिस कारण इस वन प्रभाग में हरदम वन्यजीव तस्कर व लकड़ी तस्करों का खतरा बना रहता है।
लेकिन वन्यजीव तस्करों व लकड़ी तस्करों पर नजर रखने वाली लैंसडौन वन प्रभाग की एसओजी टीम सिर्फ शोपीस बनी हुई है। हम यह इसलिए कह रहे हैं कि लगातार लैंसडौन वन प्रभाग में अवैध पेड़ो की पातन की शिकायत प्राप्त हो रही है।
विगत दिनों में अवैध पेड़ो के पातन की शिकायत पर प्रभारी डीएफओ लैंसडौन ने कोटद्वार रेंज के दो वन कर्मियों को निलंबित भी कर दिया। लेकिन प्रभाग की एसओजी टीम प्रभाग की पांच रेंजों में अपराध को रोकने में नाकाम साबित होती नजर आ रही है।
आखिर सवाल तो यहां उठता है कि जब स्पेशल टास्क फोर्स के द्वारा वन क्षेत्र में हो रहे अपराध पर रोक नहीं लगाई जा रही है तो ऐसी “स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप” को बनाकर क्या फायदा?
वही पूरे मामले पर प्रभारी डीएफओ अमरेश कुमार कहना है कि कोटद्वार रेंज में अवैध पातन पर अभी जांच जारी है दो लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में पेश किया था जो जमानत पर रिहा हो गए। वही जांच में दोषी पाए गये दो वन कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। एसओजी टीम की कार्यशैली पर प्रभागीय डीएफओ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि एसओजी टीम कार्य नहीं कर रही है उन्हें देर से सूचना मिली इस कारण उन्होंने देर से ही कार्यवाही की।