वन्यजीवों की प्यास बुझाने वाला वाटर होल प्यासा
वाटर होल के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग
कोटद्वार। लैंसडौन वन प्रभाग में विगत वर्ष में वन्य जीवों की प्यास बुझाने के लिए विभाग ने जंगलों में वाटर होल का निर्माण करवा गया था जिन पर विभाग ने लाखों रुपये खर्च किये थे लेनिक यह वाटर होल खुद प्यासा बैठा है…
वाटर होल रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर बनाये जाते है.. या तो जंगल के अंदर जहाँ पर कोई प्राकृतिक स्रोत हो जिससे कि वाटर होल तक पानी की व्यवस्था की जा सके या फिर जंगल में आबादी से दूर उस जगह पर जहां तक टैंकरों के माध्यम से आसानी से पानी वाटर होल तक पहुचाया जा सके… सूत्रों की माने तो वाटर होल बनाते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है की वाटर होल आबादी वाले क्षेत्र के आसपास ना हो… क्योंकि आबादी वाले के आसपास जंगली जानवर पानी पीने से डरते भी हैं तो वहीं आबादी के पास बने वाटर होल में आने वाले जानवरों से जनमानस को भी खतरा हो सकता है… लेकिन कोटद्वार रेंज में विगत वर्ष में लाखों रुपए की लागत से एक वाटर होल को आबादी के करीब बना दिया…
वर्तमान में हालात यह है कि जिस वाटर होल को वन्य जीवों की प्यास बुझाने के लिए बनाया गया था, वह खुद बनने के बाद से प्यासा बैठा है गजब की बात तो यह है कि जिस तकनीकी से इस वाटर होल को बनाया गया है उस से इस मे कोई भी वन्य जीव पानी नहीं पी सकता…..क्योंकि इसकी ऊंचाई भी अधिक है जबकि वाटर होल को आसान तरीके से बनाया जाता है जिसमें की छोटे से लेकर बड़ा वन्य जीव आसानी से पानी पी सके लेकिन यहां पर सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग करने के लिए वाटर होल बनाया गया…