बकरी पालन का केंद्र बना अति प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र झंडीचौड. जिलाधिकारी के आदेशों के बाद भी देर रात अस्पताल से गायब रहते डॉक्टर
कागजो मे ड्यूटी
कोटद्वार। जिलाधिकारी के आदेशों के बाद भी अधिकारी/कर्मचारी बाज नहीं आ रहे हैं कुछ दिन पूर्व जिलाधिकारी पौड़ी ने आपदा ग्रस्त भाबर क्षेत्र स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कलालघाटी और अति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र झंडीचौड में 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए थे लेकिन जिलाधिकारी के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए अति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र झंडीचौड मंगलवार देर रात को बंद पड़ा मिला।
आपको बता दें कि 13 जुलाई को मालन नदी पर बने पुल के टूट जाने के बाद भाबर क्षेत्र के 8 वार्डों का संपर्क कोटद्वार से टूट गया था, उसके बाद जिलाधिकारी और विधानसभा अध्यक्ष के निर्देशों पर भाबर क्षेत्र को कण्वाश्रम मवाकोट वैकल्पिक मार्ग से मुख्य शहर कोटद्वार के साथ जोड़ दिया गया है लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं और तमाम अन्य सुविधाओं कि अभी भी भारी दिक्कते बनी हुई है। जिसे देखते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से भाबर क्षेत्र में स्थित दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए खोलने के आदेश जारी किए। आदेश के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कलालघाटी तो स्थानीय निवासियों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने लगा लेकिन अति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र झंडीचौड़ की हालत जस की तस हैं। देर रात 11 बजे के लगभग जब बोलता पहाड़ की टीम एक मरीज के बुलाने पर अस्पताल में पँहुची तो अस्पताल बंद मिला अस्पताल का मुख्य गेट व अस्पताल का सटर बंद मिला। इतना जरूर था कि रात के अंधेरे मे अस्पताल के अंदर एक व्यक्ति बकरी चुगा रहा था। अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि यह अस्पताल बकरी पालन के लिए बनाया गया है या फिर स्थानीय निवासियों का उपचार करने के लिए।
पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने जांच के आदेश जारी किए।