कबाड़ में काटे जा रहे वाहन नियमो का नही होता पालन
कोटद्वार। सरकार के नियम और कानून के भय से बेखौफ कोटद्वार में वाहनों को कबाड़ में काटा जा रहा है। कोटद्वार में सुनसान क्षेत्र और कबाड़ की दुकानों में मोटरसाइकिल, चौपहिया वाहनों को काटकर उनका वजूद मिटाया जाता है। वाहनों को काटने वाले लोग न तो इससे पहले पुलिस को सूचना देते हैं और न ही परिवहन विभाग से किसी प्रकार का अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेते हैं।
वहीं पुलिस और परिवहन विभाग को पता भी नहीं चलता कि कौन सा वाहन कहां गायब हो गया। यह कारोबार कोटद्वार में खूब फल फूल रहा है। छोटे-बड़े वाहनों को काटकर उनका वजूद मिटाने के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। सूत्रो के मुताबिक चोरी के वाहनों को भी बड़ी संख्या में ऐसे ही निपटाया जा रहा है। ज्यादातर वाहन फाइनेंस और दूसरे राज्य में ट्रैक्स की चोरी करने वाले वाहन होते हैं। वाहनों को कुछ ही घंटे में छोटे-छोटे टूकड़ों में काटकर उनकी पहचान तक मिटा दी जाती है। वाहनों को छोटे-छोटे टूकड़ों में कबाड़ में शामिल कर दूसरे स्थान में भेज दिया जाता है, या फिर किसी दूसरे वाहन में कल-पूर्जों के स्थान में लगा दिया जाता है। सड़क पर कई वाहनों की हालत तो ऐसी हो जाती है कि वाहन का इंजन किसी और वाहन का चेचिस दूसरे वाहन का होता है।
किसी वाहन का आप अगर उपयोग नहीं करना चाहते हैं तो उसे कबाड़ में बेचने से पहले उसका पंजीयन निरस्त करवाना होता है, वाहन को कबाड़ में बेचने से पहले एआरटीओ कार्यालय से इसकी अनुमति लेनी होती है। वहां उसके चेचिस नंबर से उसका पंजीयन निरस्त कर दिया जाता है। वाहन किसी रजिस्टर्ड कबाड़ी को ही बेचना होता है ताकि वहां से गाड़ी का चेचिस नंबर मिल सके।
वही एआरटीओ निखिल शर्मा ने बताया कि दुपहिया/चौपहिया वाहन को कबाड़ में नष्ट करने से पहले वाहन का पंजीयन निरस्त करवाना होता है,एआरटीओ कार्यालय से इसकी अनुमति लेनी होती है उसके बाद स्क्रैप डीलर को अपने लेटर हेड पर वाहन की जानकारी देनी होती है साथ ही वाहन स्वामी द्वारा एक एफिडेविट के साथ वाहन का चेचिस नंबर का टुकड़ा परिवहन विभाग के कार्यालय में जमा करवाना होता है, यह प्रक्रिया नीलामी के वाहनों/निजी वाहनों के लिए एक समान होती है।