दर-दर भटक रहा अवशेष बेतन के लिए अंशकालिक दैनिक बेतन श्रमिक संदीप भट्ट…. सीएम हेल्प लाइन में शिकायत करने के बाद भी नही हुवा समाधान
कोटद्वार। वन विभाग का अशंकालिक दैनिक वेतन भोगी श्रमिक संदीप भट्ट अपने वेतन के लिए दर-दर की ठोकर खाता फिर रहा है….बतादे की संदीप भट्ट काफी लंबे समय से अंशकालिक दैनिक वेतन श्रमिक के रूप में लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में कार्यरत था… संदीप भट्ट के मुताबिक पिछले 8 साल से अंशकालिक दैनिक वेतन श्रमिक के रूप में कोटद्वार रेंज में अपनी सेवाएं दे रहा था… अचानक ही वर्ष 2023 में उन्हें सेवा से हटा दिया जाता है और लंबे समय का अवशेष वेतन भी नहीं दिया जाता है. अंशकालिक दैनिक वेतन श्रमिक संदीप भट्ट लगातार लैंसडौन वन प्रभाग के अधिकारियों के चक्कर लगाता रहा लेकिन उसकी किसी ने न सुनी.
आखरी में जब अधिकारियों के चक्कर लगाते-लगाते वह थक गया तो उसने उत्तराखंड सीएम हेल्पलाइन में अपनी शिकायत दर्ज करवा दी. सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज होने के बाद अधिकारियों के हाथ पांव फूलने लगे और सीएम हेल्प लाइन में एक बाद एक अलग जानकारी दर्ज करवाते रहे.
6 दिसंबर 2023 को सीएम हेल्पलाइन में वन क्षेत्राधिकार कोटद्वार ने अवगत कराया कि शिकायतकर्ता संदीप भट्ट द्वारा समय-समय पर अंशकालिक दैनिक वेतन श्रमिक के रूप में लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में योगदान दिया है संसाधनों की अनुपलब्धता के कारण श्रमिक को कार्य से विलय किया गया है. शिकायतकर्ता के अवशेष भुगतान की कार्यवाही बजट उपलब्ध होने पर प्रभाग स्तर से की जानी है.
वहीं 19 दिसंबर 2023 को प्रभागीय वनाधिकारी नवीन चंद पंत के द्वारा सीएम हेल्पलाइन पर अवगत कराया गया कि शिकायतकर्ता को प्रभागीय स्तर पर पूर्व में योजित नहीं किया गया है वह पूर्व में कोई भी कार्य प्रभाग स्तर से नहीं करवाया गया है.
23 जनवरी 2024 को रेंजर विपिन जोशी के द्वारा सीएम हेल्पलाइन में अवगत कराया गया कि शिकायतकर्ता संदीप भट्ट के द्वारा अंशकालिक दैनिक श्रमिक के आधार पर कार्यरत रहे हैं विगत वर्षों में वित्तीय संसाधनों की अनुपलब्धता के कारण अनेक अंशकालिक श्रमिकों को विलय किया गया है. वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता होने पर अवशेष भुगतान एवं आवश्यकता अनुसार जरूरत होने पर संदीप भट्ट को अंशकालिक श्रमिक के रूप में प्राथमिकता के आधार पर आयोजित किया जाएगा…
आपको बता दूं कि सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद भी अंशकालिक दैनिक श्रमिक को उसका अवशेष भुगतान नहीं किया गया और सीएम हेल्पलाइन में विभाग के अधिकारियों के द्वारा समय पर अलग अलग जानकारी दर्ज करवाई गई है अब आप सोच सकते हैं कि उत्तराखंड में अफसर शाही किस कदर हॉबी है..