रिजर्व फॉरेस्ट में पड़ा प्लास्टिक और कचड़ा जंगली जानवरों का बन रहा मृत्यु का कारण , वन विभाग बेखर
कोटद्वार। लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत को नदी के तट पर सिद्धबली मंदिर से फेंका गया कूड़ा/प्लास्टिक कचरे को एक हाथी अपना भोजन बना रहा है इस दौरान हाथी के साथ उसका छोटा शिशु भी कचरे में लेटा हुआ है…ऐसे में यह कचरा अब हाथी और उसके शिशु की मौत का कारण बन सकता है लेकिन विभाग बेखबर बैठा हैं… आपको यह भी बता दें कि प्रभाग के मुख्यालय और रेंज ऑफिस से महज यह तस्वीर 500 मीटर दूर की है उसके बाद भी वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी वन्यजीवों के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह बने हुए…
लैंसडौन प्रभाग के आसपास आबादी वाले क्षेत्र हो या फिर होटल और मंदिरो से निकलने वाला कचरा आमतौर पर नदियों और जंगलो में फेंक दिया जाता है इन नदियों में जंगली जानवरों का कॉरिडोर क्षेत्र है प्लास्टिक के बैग को इस्तेमाल होने के बाद इंसान नदियों और जंगलो में फेंक देते हैं खाने की तलाश में जंगली जानवर जंगलों में इधर से उधर तलाश करते हैं और जंगली जानवर इसे भोजन समझने की गलती कर देते हैं प्लास्टिक में मौजूद कई केमिकल्स की सुगंध खाने जैसे होती है जिसे जानवर खाना समझकर खा जाते हैं जंगली जानवरों को प्लास्टिक को पचा पाना असंभव है आंतों में जाने पर प्लास्टिक के रिएक्शन काफी खराब होते हैं कई बार नुकीला प्लास्टिक गले के नीचे नहीं उतरता ऐसे में उनका दम घुटने लगता है प्लास्टिक में मौजूद केमिकल की वजह से उनके पेट में इंफेक्शन हो जाता है जिसके कारण कुछ समय बाद उनकी मौत हो जाती है।
आपको यह भी बता दें कि लैंसडौन वन प्रभाग दो नेशनल पार्क राजा जी और कॉर्बेट के बीच का एरिया है और यह दोनों पार्कों के जानवरों का कॉरिडोर क्षेत्र भी माना जाता है
उधर दूसरी ओर लैंसडौन डिवीजन कें डीएफओं नवीन पंत मंदिर समिति कें साथ बैठक कर कचरे पर नियंत्रण लगाने की बात कह रहे है।